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Health Tips : BMI (Body Mass Index)

Body Mass Index (शरीर द्रव्यमान सूचकांक या एन्थ्रोपोमैट्रिक सूचकांक) : – BMI ये बताता है कि किसी के शरीर का भार उसकी लंबाई के अनुपात में ठीक है या नहीं।

BMI का क्या है मानक?

किसी व्यक्ति की ऊंचाई और वजन के आधार पर अगर उसका BMI इंडेक्स 18.5 से कम आता है तो ये सामान्य से कम होता है। अगर आपका BMI स्तर 18.5 से 24.9 के बीच में है तो यह एकदम ठीक स्थिति है। BMI स्तर अगर 25 या उससे ऊपर है तो आपको सावधान हो जाना चाहिए । ऐसे लोगों को दिल की बीमारी, स्ट्रोक, डाइबिटीज होने का डर रहता है । 30 से ज्यादा BMI होने पर मोटापे से जुड़ी सभी बीमारियों के लिए आपका शरीर ज्यादा मुफीद है।

BMI कितना होना चाहिए? (What is An Ideal BMI)

18.5 से 24.9 के बीच BMI होना एकदम सही है।
`BMI Calculator में अगर आपका BMI स्तर 18.5 से 24.9 के बीच रहा है, तो यह एक अच्छी स्थिति है। मतलब आपका वजन एकदम सही है। न ही तो आपको इसे घटाने की जरूरत है न ही बढ़ाने की। हां, Maintain करने की जरूरत जरूर है । अगर BMI 18.5 से कम है तो आप अंडरवेट हैं यानी आपका वजन उससे भी कम है जितना की होना चाहिए. तो आपको वजन बढ़ाने के लिए कोशिश करनी चाहिए। अगर आपका बीएमआई स्तर 25 या इससे ज्यादा आया है तो आपको अपने वजन को कम करने की जरूरत है। BMI बढ़ने से बीपी, कोलेस्ट्रॉल, दिल के रोग, मधुमेह जैसे रोग अपना शिकार बना सकते हैं. अब सवाल यह है कि कितना बॉडी इंडेक्स होना चाहिए ।

BMI ज्यादा होने पर क्या होता है?(High BMI Risk Factors)

अगर आपका BMI स्तर 25 या इससे ज्यादा आया है तो आपको अपने वजन को कम करने की जरूरत है. क्योंकि यह स्थिति टाइप 2 डायबिटीज, दिल का रोग या स्ट्रोक के खतरे को बढ़ा देती है. ऐसी स्थिति में अपने डॉक्टर से सलाह लें और BMI कम करने और मोटापा घटाने के लिए प्रयास शुरू कर दें.

BMI कैसे निकालते है

निम्न Formula के उपयोग से हम BMI निकाल सकते है।

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Burn ( जलन ) : First Aid ( प्राथमिक उपचार )

शरीर के किसी अंग का आग या ताप में जल जाना, बेहद तकलीफदेह होता है। कई बार खाना बनाते वक्त, गर्म पानी से या फिर बिजली के किसी उपकरण से जल जाने पर त्वचा पर फफोले हो जाते हैं, जो आपकी तकलीफ को कई गुना बढ़ा देते हैं।

जलने के स्तर और इसकी गंभीरता

जलने पर शरीर को होने वाले नुकसान को डिग्री ( Degree) में वर्गीकृत किया जाता है –

  1. First Degree Burn:– यह जलने का सबसे कम गंभीर प्रकार होता है इसे First Degree Burn कहा जाता है, जिसमें त्वचा की केवल ऊपरी परत ही जलती है, इस परत को एपिडर्मिस (Epidermis) कहा जाता है। First Degree Burn में त्वचा की ऊपरी सतह में लाली सूजन व दर्द होता है और अंदर की परतों को नुकसान नहीं होता है इसे Minor Burn कहा जाता है ।
  2. Second Degree Burn :– अगर जलने के कारण त्वचा की पहली और दूसरी दोनों परत को नुकसान होता है तो उसे second-degree Burn कहा जाता है, त्वचा की दूसरी परत को Dermis कहा जाता हैं । इसमें त्वचा पर फफोले पर बड़े धब्बे हो जाते हैं और उसका रंग अधिक लाल होने लगता है Second Degree Burn में बहुत दर्द और सूजन होती है ।
  3. Third Degree Brun :– यह सबसे गंभीर Burn कहा जाता है इसमें तो त्वचा की सारी परते जल जाती हैं । इससे प्रभावित क्षेत्र में मौजूद Fat, मांसपेशी और यहां तक की हड्डियां (Bones) भी जल जाती है, जला हुआ भाग काला पड़ जाता है और सूखा और सफेद दिखने लगता हैं ।

जलने पर घरेलु उपाय

  1. जब भी किसी कारण से त्वचा जल जाए, तो तुरंत उस पर ठंडा पानी डालें, ताकि फफोले ना पड़ सकें। इसके बाद भी आप जले हुए स्थान पर ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर लपेट दें, ताकि यह खतरा और भी कम हो जाए।
  2. जलने पर एलोवेरा काफी फायदा पहुंचाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर इसके गूदे का प्रयोग जले हुए स्थान पर किया जा सकता है। इसेक बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। पानी या दूध से घाव को धोने के बाद एलोवेरा को जले हुए स्थान पर लगाएं।
  3. जले हुए स्थान पर आलू या आलू का छिलका लगाकर रखने से भी जलन से राहत मिलेगी और ठंडक मिलेगी। इसके लिए आलू को दो भागों में काटकर उसे जख्म पर रखें। जलने के तुरंत बाद यह करना काफी फायदेमंद होगा।
  4. जले हुए स्थान पर तुरंत हल्दी का पानी लगाने से दर्द कम होता है और आराम मिलता है। इसलिए इसे प्राथमिक उपाचार के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
  5. शहद का प्रयोग भी जले हुए स्थान पर करने से लाभ होता है, क्योंकि यह एक अच्छा एंटीबायोटिक होता है। यह घाव के कीटाणुओं को खत्म करने में सहायक होता है। इसके लिए शहद को पट्टी पर लेकर पट्टी को घाव पर रख दें और इस पट्टी को दिन में दो से तीन बार जरूर बदलें।
  6. जले हुए स्थान पर टी-बैग रखने से भी आपको काफी राहत मिलेगी। इसके लिए टी-बैग को फ्रि‍ज या ठंडे पानी में कुछ देर रखने के बाद घाव पर लगाएं। इसमें टैनिक अम्ल होता है, जो घाव की गर्मी को कम की उसे ठीक करने में मदद करता है।
  7. जले हुए हिस्से पर तुलसी के पत्तों का रस लगाना भी बेहद असरकारक होता है। इससे हुए वाले भाग पर दाग बनने की संभावना कम होती है।
  8. तिल का उपायोग भी जलने पर राहत पहुंचाने में सहायक है। तिल को पीसकर जले हुए स्थान पर लगाने से जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले हिस्से पर से दाग-धब्बे भी समाप्त होते हैं।
  9. जल जाने पर टूथपेस्ट भी एक कारगर उपचार है जिससे जलन तो कम होती ही है, साथ ही त्वचा पर फफोले भी नहीं पड़ते। इसलिए जलने पर कुछ उपलब्ध न हो तो तुरंत टूथपेस्ट लगा लिजिए।
  10. जलने पर तुरंत पानी में नमक डालकर गाढ़ा घोल बनाएं, और प्रभावित स्थान पर लगाएं, इससे ठंडक भी मिलेगी और त्वचा फफोले भी नहीं पड़ेंगे।
  11. जले हुए स्थान पर तुरंत मीठा सोडा डालकर रगड़ने से भी फफोले नहीं पड़ते और बिल्कुल जलन नहीं होती।

जलने पर कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए –

  1. त्वचा के जल जाने पर कई लोग जलन से बचने के लिए बर्फ का सहारा लेते हैं। यह बात सही है कि बर्फ की सिकाई से जलन खत्म हो जाएगी, लेकिन बर्फ उस स्थान पर खून को जमा सकती है, जिससे आपका रक्त संचार प्रभावित हो सकता है। इसलिए बर्फ का प्रयोग करने से बचें।
  2. बर्फ की सिकाई करने पर फफोले पड़ने की संभावना कम नहीं होती बल्कि इससे आपकी परेशानी बाद में बढ़ सकती है। इसलिए सावधानी जरूर बरतें।
  3. कभी भी जले हुए स्थान पर रूई का प्रयोग भूल कर भी न करें। यह त्वचा पर चिपक सकती है, जिससे आपको अधिक जलन होगी। इसके अलावा बैक्टीरिया पनपने की संभावना भी होगी।
  4. जले हुए स्थान पर मक्खन या मलहम को तुरंत लगाने से बचें और फफोले पड़ने पर उन्हें फोड़ने की गलती बिल्कुल न करें। इससे संक्रमण फैल सकता है और तकलीफ बढ़ सकती है।
  5. अत्यधि‍क जल जाने पर घर पर उपचार आजमाने के बजाए तुरंत पीड़ि‍त को अस्पताल लेकर जाएं। जले हुए स्थान पर अगर कोई कपड़ा चिपका हुआ हो तो उसे उतारें नहीं, इससे त्वचा के निकलने के का खतरा होता है।
  6. अत्यधि‍क जले हुए मरीज को एक साथ पानी मत दीजिए, बल्कि ओआरएस का घोल पिलाइए। क्योंकि जलने के बाद आदमी की आंत काम करना बंद कर देती है और पानी सांस नली में फंस सकता है जो कि जानलेवा हो सकता है।
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corona के लिए healthy diet

Corona ke liye Healthy diet

COVID-19 महामारी के दौरान स्वस्थ आहार खाना बहुत महत्वपूर्ण है। हम जो खाते-पीते हैं, वह हमारे शरीर की संक्रमणों को रोकने, लड़ने और ठीक होने की क्षमता को प्रभावित कर सकता है।

स्वस्थ आहार रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है! अच्छा पोषण मोटापा, हृदय रोग, मधुमेह और कुछ प्रकार के कैंसर सहित अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के विकास की संभावना को भी कम कर सकता है।

शिशुओं के लिए, एक स्वस्थ आहार का अर्थ है पहले छह महीनों में केवल स्तनपान, जिसमें 6 महीने से 2 साल और उससे अधिक उम्र के लिए पौष्टिक और सुरक्षित खाद्य पदार्थों की शुरूआत शामिल है। छोटे बच्चों के लिए, वृद्धि और विकास के लिए एक स्वस्थ और संतुलित आहार आवश्यक है। वृद्ध लोगों के लिए, यह स्वस्थ और अधिक सक्रिय जीवन सुनिश्चित करने में मदद कर सकता है।

Healthy Diet के लिए कुछ Tips: 

  • फलों और सब्जियों सहित विभिन्न प्रकार के भोजन करें 
  • फाइबर उक्त अनाज जैसे मक्का,बाजरा, जई,गेहू और ब्राउन राइस से बने पदार्थ खाये! इनसे आपको लम्बे समय तक पेट भरा हुआ सा महसूस होगा !
  • सुबह नास्ते में कच्ची सब्जिया, फल और ड्राई फ्रूट्स खाये! 
  • नमक का सेवन एक दिन में 5 ग्राम (एक चम्मच के बराबर) तक सीमित करें !
  • डिब्बाबंद खाना बंद कर दे जैसे रसगुल्ला, सोनपपड़ी इत्यादि
  • घर में तेल जैतून, सोया, सूरजमुखी के तेल उपयोग करना स्टार्ट कर दे !
  • बहार के तले हुए खाद्य पदार्थो से बचे और जो ज्यादा मसालेदार हो उनसे भी बचे !
  • गर्मी के दिनों में जौ की राबड़ी बनाई जा सकती है जो की काफी लबदायक होती है!
  • चीनी का उपयोग काम से काम करिये और मिठाइयां काम खाइये! विटामिन-C से युक्त चीज़े खाये जैसे कि आम, संतरा, पाइनएप्पल और कीवी इत्यादि!
  • छोटे बच्चो को कम से कम नमक और चीनी खिलानी चाहिए इसके वजाये फल और कच्ची सब्जी खिलाये! मिक्स दलीय खिलाये या फिर जौ का दलीय खिलाये! 
  • पानी का सेवन खूब करे परन्तु कोल्ड ड्रिंक्स और कोई भी ठंडा पेय पदार्थ नहीं ले क्यों कि इनमे अतिरिक्त कैलोरी होती है वह बॉडी के लिए हानिकारक होती है ! और पानी कि पूर्ति के लिए खीरा या तरबूज खा सकते है
  • शराब का सेवन बिलकुल ना करे! शराब स्वस्थ आहार नहीं है और ये भ्रान्ति भी गलत है कि शराब के सेवन से Covid -19 का बचाब होता है !

Covid -19 के दौरान खाद्य पदार्थो कि सुरक्षा के लिए कुछ Tips:

इस बात का कोई सबूत नहीं है कि Covid -19 भोजन या खाद्य पदार्थो के संपर्क में आने से फैलता है ! आमतौर देखा गया है कि Covid -19 एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है! किसी भी खाद्य पदार्थ सँभालते समय या फिर बनाते समय स्वछता का पूरा ध्यान रखे!

इन पांच key points का ध्यान रखे जो कि WHO ने सुझाये है:

  1. आस पास स्वछता रखे!
  2. पके हुए खाने को और खाना बनाने के सामान को बिलकुल ही अलग-अलग रखे !
  3. खाना अच्छी तरह पकाये!
  4. भोजन को कम टेम्परेचर पर रखे जैसे कि एक रूम का टेम्परेचर होता है !
  5. स्वस्छ पानी का उपयोग करे और खाना बनाने में ख़राब चीज़ो का प्रयोग ना करे !

 

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Covid-19 में आम जनता के लिए सलाह

यदि आपके समुदाय में COVID-19 फैल रहा है, तो कुछ सरल सावधानियां, जैसे कि शारीरिक दूरी, मास्क पहनना, कमरों को अच्छी तरह से हवादार रखना, भीड़ से बचना और अपने हाथों की सफाई करके सुरक्षित रहें। स्थानीय चिकित्सा सलाह का पालन करें जहां आप रहते हैं और काम करते हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 COVID-19 से खुद को और दूसरों को सुरक्षित रखने के लिए क्या करें:

  • खांसी, छींक या बोलने पर संक्रमण के अपने जोखिम को कम करने के लिए अपने और दूसरों के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी बनाए रखें। घर के अंदर अपने और दूसरों के बीच और भी अधिक दूरी बनाए रखें। 
  • मास्क पहनना जीवन का सामान्य हिंसा बनाना और दुसरो को प्रेरित करना ! मास्क का उपयोग करने के बाद उसको सही तरीके से नस्ट करना और आस पास सफाई रखना ये कुछ काम है जिनकी वजह से बीमारी से सुरक्षित रहा जा सकता है !

 

मास्क का उपयोग करने के तरीके:  

 

  • अपना मास्क लगाने से पहले अपने हाथों को साफ करें, साथ ही इसे उतारने से पहले और बाद में, और किसी भी समय इसे छूने के बाद।
  • सुनिश्चित करें कि यह आपकी नाक, मुंह और ठोड़ी दोनों को कवर करता है।
  • जब आप अपना मास्क उतारते है तो इसे एक प्लास्टिक की थैली में डाल के रखे और यदि मास्क कपडे का है तो रोजाना धोये और यदि मास्क सिंगल उपयोग वाला है तो उसको कचरे के डब्बे फेक दे !
  • वाल्व के साथ मास्क का उपयोग न करें।
  • और ज्यादा जानकारी के लिए WHO का refer किया हुआ वीडियो देख सकते जिसका लिंक नीचे है:

 

 

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काला फफूंद (Black fungus) या म्यूकर माइकोसिस (Mucormycosis)

काला फफूंद (Black fungus) या म्यूकर माइकोसिस (Mucormycosis) एक दुर्लभ और घातक फ़ंगस संक्रमण, जिसे म्यूकोर्मिकोसिस या ब्लैक फ़ंगस कहा जाता है। भारत में यह कोविड-19 से संक्रमित रोगियों को संक्रमित कर रही है। 9 मई 2021 को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद (ICMR) और केन्द्रीय स्वास्थ्य मन्त्रालय ने ब्लैक फ़ंगस की जाँच, निदान और प्रबन्धन के लिए एडवाइजरी जारी की है।

ब्लैक फंगस के लक्षण

चेहरे के एक तरफ सूजन
सरदर्द, आंखों में लालपन
नाक या साइनस में जमाव,
नाक में या मुँह के ऊपरी हिस्से में काले घाव का जल्दी से गम्भीर रूप लेना।
बुखार आना
खाँसी
छाती में दर्द
साँस लेने में कठिनाई
पेट में दर्द
मतली और उल्टी

ब्लैक फंगस की रोकथाम

इस बीमारी का पता लगाकर जितनी जल्दी इलाज शुरू किया जाए उतना ही सही है. इसके रोकथाम के लिए तीन चीजें बहुत महत्वपूर्ण है

1. खून में शुगर की मात्रा ( Blood Sugar Level) अधिक बढ़ने नहीं दें, जो लोग डायबिटिक हैं उन्हें अपने ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखने के अधिक से अधिक प्रयास करने चाहिए

2. स्टेरॉयड का नियंत्रण ( Steroid Control) कोशिश यही रहे कि स्टेरॉयड को नियंत्रित रूप से ही उपयोग में लें

3. स्टेरॉयड गाइडलाइन की पालना- जरूरत पड़े तो ही स्टेरॉयड दें. रोग के तेजी से फैलने और उच्च मृत्यु दर के कारण एम्फोटेरिसिन बी थेरेपी तुरन्त दिया जाना चाहिए।

4. Amphotericin b आमतौर पर संक्रमण के उन्मूलन को सुनिश्चित करने के लिए प्रारम्भिक चिकित्सा शुरू होने के बाद अतिरिक्त 4-6 सप्ताह के लिए प्रशासित किया जाता है। Isavuconazole को हाल ही में invasive aspergillosis और इनवेसिव म्यूकोर्मिकोसिस के इलाज के लिए FDA द्वारा अनुमोदित किया गया था। पुन: उभरने के किसी भी लक्षण के लिए रोग की सावधानीपूर्वक निगरानी की जानी चाहिए। यह रोग अक्सर आँखों, नाक, त्वचा और फेफड़ों को प्रभावित करता है। यह कवक रोग अत्यधिक खतरनाक होता है, खासकर यदि यह मस्तिष्क में फैल जाए, तो रोगी की मृत्यु हो जाती है। यदि यह आँख को प्रभावित करता है, तो आँख को हटाना ही मस्तिष्क में आगे फैलने से रोकने का एकमात्र उपाय है। शल्य चिकित्सा ( Surgery) बहुत कठोर हो सकती है, और कुछ मामलों में नाक गुहा और मस्तिष्क से जुड़ी बीमारी के मामलों में, हटाने संक्रमित मस्तिष्क ऊतक की आवश्यकता हो सकती है। कुछ मामलों में सर्जरी विकृत हो सकती है क्योंकि इसमें तालू, नाक गुहा, या आँखों की संरचना को हटाना शामिल हो सकता है। सर्जरी को एक से अधिक ऑपरेशन तक बढ़ाया जा सकता है। यह अनुमान लगाया गया है कि हाइपरबेरिक ऑक्सीजन एक सहायक चिकित्सा के रूप में फायदेमन्द हो सकता है क्योंकि उच्च ऑक्सीजन दबाव कवक को मारने के लिए न्यूट्रोफिल की क्षमता को बढ़ाता है।

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Health Tips : गहरी सांसे लेने भर से इम्यूनिटी

गहरी सांसे लेने भर से इम्यूनिटी सुधरती है एवं दर्द कम होता है

  1. धीमी गहरी लंबी सांस लेने से शरीर को detoxify और शांत भाग में लौटने में मदद मिलती है।
  2. गहरी सांस लेने से बेहतर नींद में मदद मिलती है । अगर अनिद्रा की शिकायत है तो सोने से पहले गहरी सांसे ले इससे कार्बन डाइऑक्साइड जो प्राकृतिक विषैला कचरा है जो सांस से बाहर आता है, छोटी सांस के दौरान फेफड़े कम प्रतिक्रिया करते हैं अन्य अंगों को इस कचरे को बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
  3. गहरी सांस लेने से Immunity मजबूत होती है । गहरी सांस लेने से ताजी ऑक्सीजन मिलती है और विषाक्त पदार्थ और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है। जब रक्त में ऑक्सीजन मिला होता है तो इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है एवं शरीर के महत्वपूर्ण अंग ठीक से काम करते हैं।
  4. गहरी सांस लेने से दर्द का एहसास कम होता है । जब आप गहरी सांस लेते हैं तो शरीर में endorphins hormone बनता है यह Good hormone है और शरीर द्वारा बनाया गया एक प्राकृतिक दर्द निवारक हैं ।
  5. गहरी सांस लेने से तनाव कम होता है । गहरी सांस लेने से चिंताजनक विचारों और घबराहट से छुटकारा मिलता है हृदय गति धीमी हो जाती है जिससे शरीर अधिक ऑक्सीजन ले पाता है इससे हार्मोन संतुलित होते हैं । इससे कोर्टिसोल स्तर कम होता है कोर्टिसोल एक Stress Harmone है, कोर्टिसोल का स्तर बहुत अधिक समय तक बढ़ा हुआ रहता है तो यह बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
  6. गहरी सांस लेने से रक्त प्रवाह ठीक होता है । डायाफ्राम के ऊपर और नीचे होने से रक्त प्रवाह की गति बढ़ती है, इससे विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद मिलती है।

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Health Tips : गर्म पानी से खांसी में फायदा

गले के पिछले हिस्से में सूजन की वजह से गले में खराश या हल्की खांसी हो जाती है । गले में खराश वायरस के कारण भी होती है जैसे फ्लू या आम सर्दी । यह कुछ दिनों में ठीक भी हो जाती है । गले में संक्रमण बैक्टीरिया के कारण भी होता है इसके लिए डॉक्टर Antibiotic Tablets देते हैं । गले में खराश कोविड-19 का भी लक्षण है, ऐसे में अगर किसी ने को भी टेस्ट कराया है तो रिपोर्ट आने तक वह आइसोलेशन में रहकर गले के लिए उपाय कर सकता है ज्यादातर लोगों में हल्की कोरोना वायरस लक्षण होते हैं इसके लिए कुछ घरेलू उपाय निम्न है-

  1. बहुत पानी पीजिए इससे Dehydration से बचेंगे गला नाम रहेगा।
  2. शहद के साथ गर्म पानी ( गुनगुना )पानी पिये । गरम पानी से स्वास नली गरम रहेगी गले और ऊपरी स्वास्थ्य नली में जमा बलगम भी बाहर आएगा ।
  3. गर्म पानी से स्नान करें, भाप ले, इससे गले की खराश कम होगी सांस लेने में आसानी होगी।
  4. शराब या कॉफी जैसे किसी भी कैफीन युक्त पेय से बचना चाहिए, इससे Dehydration हो सकता है ।
  5. एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच नमक डालकर गरारे करें इससे गले के दर्द और इचिंग से राहत मिलेगी । गरारे के दौरान गले के Tissue से वायरस को बाहर निकलने में मदद मिलती है ।

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अल्बर्ट आईंस्टीन :- खुद को सकारात्मक रहना सिखाया जा सकता है।

जीवन में सफलता का सकारात्मक सोच और आशावादी होने से सीधा संबंध है| अकादमिक क्षेत्र हो या फिर पेशेवर जीवन, आशावादी लोग बाकियों से आगे रहते हैं| विभिन्न शोध बताते हैं कि सभी लोग आशावादी हो, यह जरूरी नहीं है, लेकिन दिमाग को सकारात्मक होने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं| यानी आशावादी होना सीखा जा सकता है|

1. किंग्स कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं का एक अध्ययन बताता है कि व्यक्ति में 25 फ़ीसदी आशावाद उसका खुद का होता है | इसके बाद हमारी सकारात्मकता को प्रभावित करने वाले सामाजिक- आर्थिक स्थिति जैसे कई पहलू होते हैं, जो अक्सर हमारे नियंत्रण में नहीं होते| लेकिन फिर भी हम अपने आशावाद  को बढ़ा सकते हैं और जिंदगी के प्रति सकारात्मक रवैया को विकसित किया जा सकता है|स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लीह बीस का कहना है कि कुछ लोग प्राकृतिक रूप से आशावादी होते हैं |लेकिन कई लोग आशावाद को सीख भी सकते हैं |प्रोफेसर लीह के मुताबिक इसका सबसे अच्छा तरीका है अपने काम और जीवन में एक उद्देश्य तलाशना| जब हमारे काम से कोई उद्देश जुड़ा होता है या हम किसी उद्देश्य के साथ जीते हैं तो हम खुद में ज्यादा सकारात्मक महसूस करते हैं.

2. शोध बताते हैं कि पॉजिटिव मूड का संबंध हमारे दिमाग के बाएं हिस्से की गतिविधियों से होता है जबकि नकारात्मक भावनाओं का संबंध हमारे दिमाग के दाएं हिस्से से है| द जर्नल ओं पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन भी बताता है कि हमारे दिमाग की गतिविधियों का पैटर्न यह तय करता है कि हम किस परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देंगे | अध्ययन में जिन लोगों ने मनोरंजन फिल्में देखें उनमें दिमाग का बायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय रहा जिससे अच्छी प्रतिक्रियाएं आयीं | जिन्होंने अवसाद वाली फिल्में देखी उनका दायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय रहा और उन्होंने नकारात्मक भावनाएं जाहिर की |

  • लेकिन सोचने समझने की प्रक्रिया में बदलाव कर आप दिमागी गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं इसके लिए कॉग्निटिव रिस्ट्रक्चरिंग अपना सकते हैं इसमें यह चीजें कर सकते हैं
  • नकारात्मक विचार लाने वाली परिस्थितियां पहचाने |
  • उस पल की भावनाएं समझने की कोशिश करें |
  • परिस्थिति में आए नकारात्मक विचारों को पहचाने|
  • वो प्रमाण देखें जो आपके नकारात्मक विचारों का समर्थन करते हैं या नकारते हैं
  • तथ्यों पर ध्यान दें,  नकारात्मक विचारों की जगह सकारात्मक विचार लाएं जो ज्यादा वास्तविक हो |
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मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना

मुख्यमंत्री चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा योजना में राज्य के प्रत्येक परिवार को पाँच लाख रुपये का कैशलेस बीमा दिया जाएगा. इसमें आर्थिक रूप से ग़रीबों को बिना किसी प्रीमियम के यह बीमा मिलेगा. जबकि अन्य सभी परिवारों योजना का लाभ लेने के लिए 850 रुपये का वार्षिक प्रीमियम देना होगा. योजना से जुड़ने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना होगा. योजना का लाभ लेने के लिए राज्य के सभी परिवार योग्य होंगे.

 

कहाँ और कब तक करें रजिस्ट्रेशन?

 

योजना से जुड़ने के लिए एक अप्रैल से तीस अप्रैल तक ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन किए जा सकते हैं. पंजीकरण के लिए चिकित्सा विभाग की वेबसाइट www.health.rajasthan.gov.in और SSO ID से Online Registration किया जा सकता है सरकार की ओर से रजिस्ट्रेशन के लिए विशेष शिविर भी लगाए जा रहे हैं, ग्राम पंचायत और नगर परिषद क्षेत्र में एक से दस अप्रैल तक रजिस्ट्रेशन कराए जा सकते हैं. रजिस्ट्रेशन के लिए ई-मित्र पर निर्धारित शुल्क देकर भी रजिस्ट्रेशन किए जा सकते हैं. ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन 30 अप्रैल तक होंगे.

 

रजिस्ट्रेशन के लिए क्या चाहिए?

 

योजना का लाभ लेने के लिए पहले रजिस्ट्रेशन कराना होगा. इसके लिए परिवार का जन आधार कार्ड, जन आधार कार्ड रजिस्ट्रेशन रसीद एवं आधार कार्ड जरूरी होगा. यह डॉक्यूमेंट होने पर ही योजना से जुड़ा जा सकता है.

 

किसे रजिस्ट्रेशन की ज़रूरत नहीं?

 

आयुष्मान भारत महात्मा गाँधी राजस्थान स्वास्थ्य बीमा योजना में लाभान्वित, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम एवं सामाजिक आर्थिक जनगणना 2011 के पात्र परिवारों को रजिस्ट्रेशन करवाने की आवश्यकता नहीं है. अन्य सभी को इस योजना का लाभ लेने के लिए रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य होगा.

 

कौन ले सकते हैं योजना का लाभ?

 

योजना में खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत योग्य परिवार, सामाजिक आर्थिक जनगणना 2011 के योग्य परिवार, राज्य के समस्त विभागों में कार्यरत संविदा कार्मिक, लघु एवं सीमान्त कृषक बिना फीस दिए इस बीमा योजना का लाभार्थी बन सकते हैं. ऐसे परिवार जो इन चार श्रेणियों में शामिल नहीं हैं, लेकिन केंद्र और राज्य सरकार की मेडिक्लेम/ मेडिकल अटेंडेंस नियमों के अंतर्गत पात्र नहीं हैं, वह प्रीमियम का पचास प्रतिशत यानी 850 रुपये भुगतान कर योजना से जुड़ सकते हैं

 

परिवार की संख्या और उम्र सीमा?

 

किसी भी बीमा योजना से जुड़ने के लिए अमूमन उम्र सीमा भी कहीं न कहीं मायने रखती है. लेकिन चिरंजीवी योजना पूरे परिवार के लिए बीमा योजना है, ऐसे में बड़े परिवार भी इसमें आसानी से जुड़ सकते हैं. इस योजना में परिवार के सदस्यों की संख्या की पाबंदी नहीं है. परिवार के सदस्यों की उम्र की भी सीमा नहीं होगी. जन्में बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक सभी योजना के लाभार्थी होंगे.

 

कितने का है बीमा और क्या कैशलेस ट्रीटमेंट होगी?

 

एक मई से मिलने वाले बीमा लाभ में जुड़ने से पहले की यदि कोई किसी बीमारी से ग्रसित है, तो भी वह इस योजना में लाभ ले सकेगा. योजना के तहत चिन्हित बीमारियों के लिए 50 हज़ार रुपये एवं गंभीर बीमारियों के लिए 4 लाख 50 हज़ार का बीमा कवर मिलेगा. इसके अलावा विभिन्न बीमारियों के 1,576 पैकेज शामिल किए गए हैं. बीमा कवरेज कौन-कौन सी बीमारियों के लिए मिलेगा इसकी सूची फिलहाल सार्वजनिक नहीं की गई है.

 

कौन से अस्पतालों में मिलेगा लाभ?

 

योजना से जुड़ने के बाद राज्य के सभी सरकारी अस्पताल और सम्बद्ध निजी अस्पतालों में कैशलेस बीमा का लाभ मिलेगा. योजना के तहत मरीज के अस्पताल में भर्ती होने के पाँच दिन पहले तक के चिकित्सकीय परामर्श, जांच, दवाइयां और मरीज के डिस्चार्ज के बाद के पन्द्रह दिन तक का खर्चा भी कवर है.

 

किन परिवारों को देना होगा प्रीमियम?

 

चिरंजीवी योजना का लाभ राज्य के संविदा कर्मियों, लघु और सीमांत कृषकों को निःशुल्क चिकित्सा सुविधा का लाभ मिल पाएगा साथ ही प्रदेश के सभी अन्य परिवारों को बीमा प्रीमियम की 50 प्रतिशत राशि यानी 850 रुपये पर वार्षिक 5 लाख रुपये तक की मुफ़्त चिकित्सा सुविधा उपलब्ध होगी.”

 

योजना की अधिक जानकारी और रजिस्ट्रेशन से संबंधित पूछताछ के लिए इस हेल्पलाइन नंबर संपर्क किया जा सकता है- 18001806127