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वो जो शोर मचाते हैं भीड़ में, भीड़ बनकर ही रह जाते है। वही पाते हैं जिंदगी में सफलता, जो ख़ामोशी से अपना काम कर जाते है।

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वो जो शोर मचाते हैं भीड़ में, भीड़ बनकर ही रह जाते है। वही पाते हैं जिंदगी में सफलता, जो ख़ामोशी से अपना काम कर जाते है।hindaun

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टोक्यो पैरा ओलम्पिक में कांस्य पदक विजेता (जेवलिन थ्रो) सुंदर सिंह गुर्जर ने उजाला क्रेडिट के क्षेत्रीय प्रबंधक रमेश चन्द शर्मा जी से हिंडौन सिटी आने पर की खास मुलाकात

श्री सुन्दर सिंह गुर्जर (कांस्य पदक विजेता) के आज हिंडौन सिटी आगमन पर उजाला क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटी लिमिटेड के क्षेत्रीय प्रबंधक श्री रमेश चंद शर्मा के साथ खास मुलाकात हुई। पैरालंपिक गेम्स में जैवलिन थ्रो खेल के कांस्य पदक विजेता के पैराएथलीट सुन्दर सिंह गुर्जर की तमन्ना स्वर्ण पदक जीतने की है। वर्ष 2022 में कॉमनवैल्थ गेम्स है, लेकिन उनका लक्ष्य पेरिस में 2024 में होने वाले अगले पैरालंपिक गेम्स हैं। ताकि भाला साध कर देश के लिए स्वर्ण पदक जीतने की तमन्ना पूरी कर सकें।

सुन्दर ने कहा कि वर्ष 2009 से स्पोट्र्स में शुरुआत कर वे जैवलिन थ्रो की राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्पद्र्धाओं में शामिल हुआ। उन्होंने वर्ष वर्ष 2017 व 2018 में वल्र्ड चैंपियनशिप मे लगातार दो बार स्वर्ण पदक जीता। वर्ष 2016 में ब्राजील के पैरालंपिक गेम्स में डिस्क्वालिफाई होने से निराश हुए, लेकिन कड़ी मेहनत कर टोक्यो पैरालंपिक में कांस्य पदक जीत सपने सफलता के सोपान चढ़ गए। एक सवाल के जवाब में सुन्दर ने कहा कि उनके पदक जीतने के बाद युवाओं में जैबलिन थ्रो के प्रति रुझान होना अच्छा संकेत हैं। खेलों के प्रति जागरुता आ रही है। उन्होंने कहा कि सरकार खेल सुविधाएं मुहैया कराती है, लेकिन वे बड़े शहरों तक ही हैं। गर छोटे कस्बे और गांवों में खेल सुविधाएं मिले तो जैबलिन ही नहीं अन्य खेलों में भी यहां के खिलाड़ी पदक जीत सकते हैं। पैरालंपिक पदक विजेता सुन्दर गुर्जर बोले कि पढाई के साथ खेलों से कॅरियर संवरा और अब वे वन विभाग में राजपत्रित अधिकारी हैं। उन्होंने युवाओं को संदेश दिया कि परिजन बच्चों को खेलने से रोकें नहीं बल्कि खेलों के लिए प्रेरित करें। क्योंकि खेलों से भी नौकरी मिल सकती हैं।