शरीर के किसी अंग का आग या ताप में जल जाना, बेहद तकलीफदेह होता है। कई बार खाना बनाते वक्त, गर्म पानी से या फिर बिजली के किसी उपकरण से जल जाने पर त्वचा पर फफोले हो जाते हैं, जो आपकी तकलीफ को कई गुना बढ़ा देते हैं।
जलने के स्तर और इसकी गंभीरता
जलने पर शरीर को होने वाले नुकसान को डिग्री ( Degree) में वर्गीकृत किया जाता है –
- First Degree Burn:– यह जलने का सबसे कम गंभीर प्रकार होता है इसे First Degree Burn कहा जाता है, जिसमें त्वचा की केवल ऊपरी परत ही जलती है, इस परत को एपिडर्मिस (Epidermis) कहा जाता है। First Degree Burn में त्वचा की ऊपरी सतह में लाली सूजन व दर्द होता है और अंदर की परतों को नुकसान नहीं होता है इसे Minor Burn कहा जाता है ।
- Second Degree Burn :– अगर जलने के कारण त्वचा की पहली और दूसरी दोनों परत को नुकसान होता है तो उसे second-degree Burn कहा जाता है, त्वचा की दूसरी परत को Dermis कहा जाता हैं । इसमें त्वचा पर फफोले पर बड़े धब्बे हो जाते हैं और उसका रंग अधिक लाल होने लगता है Second Degree Burn में बहुत दर्द और सूजन होती है ।
- Third Degree Brun :– यह सबसे गंभीर Burn कहा जाता है इसमें तो त्वचा की सारी परते जल जाती हैं । इससे प्रभावित क्षेत्र में मौजूद Fat, मांसपेशी और यहां तक की हड्डियां (Bones) भी जल जाती है, जला हुआ भाग काला पड़ जाता है और सूखा और सफेद दिखने लगता हैं ।
जलने पर घरेलु उपाय
- जब भी किसी कारण से त्वचा जल जाए, तो तुरंत उस पर ठंडा पानी डालें, ताकि फफोले ना पड़ सकें। इसके बाद भी आप जले हुए स्थान पर ठंडे पानी में कपड़ा भिगोकर लपेट दें, ताकि यह खतरा और भी कम हो जाए।
- जलने पर एलोवेरा काफी फायदा पहुंचाता है। प्राथमिक उपचार के तौर पर इसके गूदे का प्रयोग जले हुए स्थान पर किया जा सकता है। इसेक बेहतर परिणाम प्राप्त होंगे। पानी या दूध से घाव को धोने के बाद एलोवेरा को जले हुए स्थान पर लगाएं।
- जले हुए स्थान पर आलू या आलू का छिलका लगाकर रखने से भी जलन से राहत मिलेगी और ठंडक मिलेगी। इसके लिए आलू को दो भागों में काटकर उसे जख्म पर रखें। जलने के तुरंत बाद यह करना काफी फायदेमंद होगा।
- जले हुए स्थान पर तुरंत हल्दी का पानी लगाने से दर्द कम होता है और आराम मिलता है। इसलिए इसे प्राथमिक उपाचार के तौर पर प्रयोग किया जा सकता है।
- शहद का प्रयोग भी जले हुए स्थान पर करने से लाभ होता है, क्योंकि यह एक अच्छा एंटीबायोटिक होता है। यह घाव के कीटाणुओं को खत्म करने में सहायक होता है। इसके लिए शहद को पट्टी पर लेकर पट्टी को घाव पर रख दें और इस पट्टी को दिन में दो से तीन बार जरूर बदलें।
- जले हुए स्थान पर टी-बैग रखने से भी आपको काफी राहत मिलेगी। इसके लिए टी-बैग को फ्रिज या ठंडे पानी में कुछ देर रखने के बाद घाव पर लगाएं। इसमें टैनिक अम्ल होता है, जो घाव की गर्मी को कम की उसे ठीक करने में मदद करता है।
- जले हुए हिस्से पर तुलसी के पत्तों का रस लगाना भी बेहद असरकारक होता है। इससे हुए वाले भाग पर दाग बनने की संभावना कम होती है।
- तिल का उपायोग भी जलने पर राहत पहुंचाने में सहायक है। तिल को पीसकर जले हुए स्थान पर लगाने से जलन और दर्द नहीं होगा। तिल लगाने से जलने वाले हिस्से पर से दाग-धब्बे भी समाप्त होते हैं।
- जल जाने पर टूथपेस्ट भी एक कारगर उपचार है जिससे जलन तो कम होती ही है, साथ ही त्वचा पर फफोले भी नहीं पड़ते। इसलिए जलने पर कुछ उपलब्ध न हो तो तुरंत टूथपेस्ट लगा लिजिए।
- जलने पर तुरंत पानी में नमक डालकर गाढ़ा घोल बनाएं, और प्रभावित स्थान पर लगाएं, इससे ठंडक भी मिलेगी और त्वचा फफोले भी नहीं पड़ेंगे।
- जले हुए स्थान पर तुरंत मीठा सोडा डालकर रगड़ने से भी फफोले नहीं पड़ते और बिल्कुल जलन नहीं होती।
जलने पर कौन सी सावधानियां रखनी चाहिए –
- त्वचा के जल जाने पर कई लोग जलन से बचने के लिए बर्फ का सहारा लेते हैं। यह बात सही है कि बर्फ की सिकाई से जलन खत्म हो जाएगी, लेकिन बर्फ उस स्थान पर खून को जमा सकती है, जिससे आपका रक्त संचार प्रभावित हो सकता है। इसलिए बर्फ का प्रयोग करने से बचें।
- बर्फ की सिकाई करने पर फफोले पड़ने की संभावना कम नहीं होती बल्कि इससे आपकी परेशानी बाद में बढ़ सकती है। इसलिए सावधानी जरूर बरतें।
- कभी भी जले हुए स्थान पर रूई का प्रयोग भूल कर भी न करें। यह त्वचा पर चिपक सकती है, जिससे आपको अधिक जलन होगी। इसके अलावा बैक्टीरिया पनपने की संभावना भी होगी।
- जले हुए स्थान पर मक्खन या मलहम को तुरंत लगाने से बचें और फफोले पड़ने पर उन्हें फोड़ने की गलती बिल्कुल न करें। इससे संक्रमण फैल सकता है और तकलीफ बढ़ सकती है।
- अत्यधिक जल जाने पर घर पर उपचार आजमाने के बजाए तुरंत पीड़ित को अस्पताल लेकर जाएं। जले हुए स्थान पर अगर कोई कपड़ा चिपका हुआ हो तो उसे उतारें नहीं, इससे त्वचा के निकलने के का खतरा होता है।
- अत्यधिक जले हुए मरीज को एक साथ पानी मत दीजिए, बल्कि ओआरएस का घोल पिलाइए। क्योंकि जलने के बाद आदमी की आंत काम करना बंद कर देती है और पानी सांस नली में फंस सकता है जो कि जानलेवा हो सकता है।