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Health Tips : गहरी सांसे लेने भर से इम्यूनिटी

गहरी सांसे लेने भर से इम्यूनिटी सुधरती है एवं दर्द कम होता है

  1. धीमी गहरी लंबी सांस लेने से शरीर को detoxify और शांत भाग में लौटने में मदद मिलती है।
  2. गहरी सांस लेने से बेहतर नींद में मदद मिलती है । अगर अनिद्रा की शिकायत है तो सोने से पहले गहरी सांसे ले इससे कार्बन डाइऑक्साइड जो प्राकृतिक विषैला कचरा है जो सांस से बाहर आता है, छोटी सांस के दौरान फेफड़े कम प्रतिक्रिया करते हैं अन्य अंगों को इस कचरे को बाहर निकालने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है।
  3. गहरी सांस लेने से Immunity मजबूत होती है । गहरी सांस लेने से ताजी ऑक्सीजन मिलती है और विषाक्त पदार्थ और कार्बन डाइऑक्साइड बाहर निकलती है। जब रक्त में ऑक्सीजन मिला होता है तो इससे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली अर्थात इम्युनिटी सिस्टम मजबूत होता है एवं शरीर के महत्वपूर्ण अंग ठीक से काम करते हैं।
  4. गहरी सांस लेने से दर्द का एहसास कम होता है । जब आप गहरी सांस लेते हैं तो शरीर में endorphins hormone बनता है यह Good hormone है और शरीर द्वारा बनाया गया एक प्राकृतिक दर्द निवारक हैं ।
  5. गहरी सांस लेने से तनाव कम होता है । गहरी सांस लेने से चिंताजनक विचारों और घबराहट से छुटकारा मिलता है हृदय गति धीमी हो जाती है जिससे शरीर अधिक ऑक्सीजन ले पाता है इससे हार्मोन संतुलित होते हैं । इससे कोर्टिसोल स्तर कम होता है कोर्टिसोल एक Stress Harmone है, कोर्टिसोल का स्तर बहुत अधिक समय तक बढ़ा हुआ रहता है तो यह बहुत अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
  6. गहरी सांस लेने से रक्त प्रवाह ठीक होता है । डायाफ्राम के ऊपर और नीचे होने से रक्त प्रवाह की गति बढ़ती है, इससे विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद मिलती है।

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Health Tips : गर्म पानी से खांसी में फायदा

गले के पिछले हिस्से में सूजन की वजह से गले में खराश या हल्की खांसी हो जाती है । गले में खराश वायरस के कारण भी होती है जैसे फ्लू या आम सर्दी । यह कुछ दिनों में ठीक भी हो जाती है । गले में संक्रमण बैक्टीरिया के कारण भी होता है इसके लिए डॉक्टर Antibiotic Tablets देते हैं । गले में खराश कोविड-19 का भी लक्षण है, ऐसे में अगर किसी ने को भी टेस्ट कराया है तो रिपोर्ट आने तक वह आइसोलेशन में रहकर गले के लिए उपाय कर सकता है ज्यादातर लोगों में हल्की कोरोना वायरस लक्षण होते हैं इसके लिए कुछ घरेलू उपाय निम्न है-

  1. बहुत पानी पीजिए इससे Dehydration से बचेंगे गला नाम रहेगा।
  2. शहद के साथ गर्म पानी ( गुनगुना )पानी पिये । गरम पानी से स्वास नली गरम रहेगी गले और ऊपरी स्वास्थ्य नली में जमा बलगम भी बाहर आएगा ।
  3. गर्म पानी से स्नान करें, भाप ले, इससे गले की खराश कम होगी सांस लेने में आसानी होगी।
  4. शराब या कॉफी जैसे किसी भी कैफीन युक्त पेय से बचना चाहिए, इससे Dehydration हो सकता है ।
  5. एक कप गर्म पानी में आधा चम्मच नमक डालकर गरारे करें इससे गले के दर्द और इचिंग से राहत मिलेगी । गरारे के दौरान गले के Tissue से वायरस को बाहर निकलने में मदद मिलती है ।

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Story : कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है, अपना काम स्वयं करना चाहिए।

एक समय की बात है गुरु अपने शिष्यों के साथ कहीं दूर जा रहे थे। रास्ता काफी लंबा था चलते – चलते सभी थक से गए थे। अब उन्हें विश्राम करने की इच्छा हुई , किंतु अगर विश्राम करते तो गंतव्य स्थल पर पहुंचने में अधिक रात हो जाती। इसलिए वह लोग निरंतर चल रहे थे। रास्ते में एक नाला आया जिस को पार करने के लिए लंबी छलांग लगानी थी। सभी लोगों ने लंबी छलांग लगाकर नाले को पार किया। किंतु गुरुजी का कमंडल उस नाले में गिर गया। सभी शिष्य परेशान हुए एक शिष्य गोपाल कमंडल निकालने के लिए सफाई कर्मचारी को ढूंढने चला गया। अन्य शिष्य बैठकर चिंता करने लगे , योजना बनाए लगे आखिर यह कमंडल कैसे निकाला जाए ?

गुरु जी परेशान होने लगे, क्योंकि गुरुजी ने सभी को स्वावलंबन का पाठ पढ़ाया था। उनकी सिख पर कोई भी शिष्य अमल नहीं कर रहा है। अंत तक वास्तव में कोई भी उस कार्य को करने के लिए अग्रसर नहीं हुआ , ऐसा देखकर गुरु जी काफी विचलित हुए। एक शिष्य मदन उठा और उसने नाले में हाथ लगा कर देखा , किंतु कमंडल दिखाई नहीं दिया। क्योंकि वह नाले के तह में जा पहुंचा था तभी मदन ने अपने कपड़े संभालते हुए नाले में उतरा और तुरंत कमंडल लेकर ऊपर आ गया।

गुरु जी ने अपने शिष्य मदन की खूब प्रशंसा की और भरपूर सराहना की उसने तुरंत कार्य को अंजाम दिया और गुरु द्वारा पढ़ाए गए पाठ पर कार्य किया। तभी शिष्य गोपाल जो सफाई कर्मचारी को ढूंढने गया था वह भी आ पहुंचा , उसे अपनी गलती का आभास हो गया था।

कोई भी कार्य छोटा या बड़ा नहीं होता है , अपना काम स्वयं करना चाहिए।

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भगवान परशुराम जयंती पर ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने की पूजा व कोरोना महामारी से रक्षा हेतु हवन-यज्ञ का किया आयोजन।

भगवान परशुराम जयंती पर ब्राह्मण समाज के पदाधिकारियों ने आज अक्षय तृतीया को भगवान परशुराम की जयंती पर भगवान परशुराम की प्रतिमा का स्नान ध्यान व नई पोशाक धारण कराकर भगवान की पूजा आरती की।
ब्राह्मण समाज के तहसील अध्यक्ष अशोक शर्मा व नगर अध्यक्ष वासुदेव शर्मा सहित चौबीसा महू क्षेत्र के अध्यक्ष रमेश चतुर्वेदी ने बताया कि कोरोना महामारी से रक्षा हेतु हवन यज्ञ का आयोजन किया व सरकार की गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए समाज के कुछ ही लोगों ने भाग लिया। जिनमें शुभम तिवाड़ी, शम्भूदयाल पंडित, मिथलेश पंडित, संजय पंडा, सुरेंद्र तिवाड़ी, महेश शर्मा, मंजीत मुद्गल व कई समाज के लोग मोजूद रहे।

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पृथ्वी पर ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसको कोई समस्या ना हो और कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान ना हो । मंजिल चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हो उसके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे से ही जाते है।

पृथ्वी पर ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसको कोई समस्या ना हो और कोई ऐसी समस्या नहीं है जिसका कोई समाधान ना हो मंजिल चाहे कितनी भी ऊँची क्यों न हो उसके रास्ते हमेशा पैरों के नीचे से ही जाते है।

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अल्बर्ट आईंस्टीन :- खुद को सकारात्मक रहना सिखाया जा सकता है।

जीवन में सफलता का सकारात्मक सोच और आशावादी होने से सीधा संबंध है| अकादमिक क्षेत्र हो या फिर पेशेवर जीवन, आशावादी लोग बाकियों से आगे रहते हैं| विभिन्न शोध बताते हैं कि सभी लोग आशावादी हो, यह जरूरी नहीं है, लेकिन दिमाग को सकारात्मक होने के लिए प्रशिक्षित कर सकते हैं| यानी आशावादी होना सीखा जा सकता है|

1. किंग्स कॉलेज ऑफ लंदन के शोधकर्ताओं का एक अध्ययन बताता है कि व्यक्ति में 25 फ़ीसदी आशावाद उसका खुद का होता है | इसके बाद हमारी सकारात्मकता को प्रभावित करने वाले सामाजिक- आर्थिक स्थिति जैसे कई पहलू होते हैं, जो अक्सर हमारे नियंत्रण में नहीं होते| लेकिन फिर भी हम अपने आशावाद  को बढ़ा सकते हैं और जिंदगी के प्रति सकारात्मक रवैया को विकसित किया जा सकता है|स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसर लीह बीस का कहना है कि कुछ लोग प्राकृतिक रूप से आशावादी होते हैं |लेकिन कई लोग आशावाद को सीख भी सकते हैं |प्रोफेसर लीह के मुताबिक इसका सबसे अच्छा तरीका है अपने काम और जीवन में एक उद्देश्य तलाशना| जब हमारे काम से कोई उद्देश जुड़ा होता है या हम किसी उद्देश्य के साथ जीते हैं तो हम खुद में ज्यादा सकारात्मक महसूस करते हैं.

2. शोध बताते हैं कि पॉजिटिव मूड का संबंध हमारे दिमाग के बाएं हिस्से की गतिविधियों से होता है जबकि नकारात्मक भावनाओं का संबंध हमारे दिमाग के दाएं हिस्से से है| द जर्नल ओं पर्सनैलिटी एंड सोशल साइकोलॉजी में प्रकाशित एक अध्ययन भी बताता है कि हमारे दिमाग की गतिविधियों का पैटर्न यह तय करता है कि हम किस परिस्थिति में कैसी प्रतिक्रिया देंगे | अध्ययन में जिन लोगों ने मनोरंजन फिल्में देखें उनमें दिमाग का बायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय रहा जिससे अच्छी प्रतिक्रियाएं आयीं | जिन्होंने अवसाद वाली फिल्में देखी उनका दायां हिस्सा ज्यादा सक्रिय रहा और उन्होंने नकारात्मक भावनाएं जाहिर की |

  • लेकिन सोचने समझने की प्रक्रिया में बदलाव कर आप दिमागी गतिविधियों को नियंत्रित कर सकते हैं इसके लिए कॉग्निटिव रिस्ट्रक्चरिंग अपना सकते हैं इसमें यह चीजें कर सकते हैं
  • नकारात्मक विचार लाने वाली परिस्थितियां पहचाने |
  • उस पल की भावनाएं समझने की कोशिश करें |
  • परिस्थिति में आए नकारात्मक विचारों को पहचाने|
  • वो प्रमाण देखें जो आपके नकारात्मक विचारों का समर्थन करते हैं या नकारते हैं
  • तथ्यों पर ध्यान दें,  नकारात्मक विचारों की जगह सकारात्मक विचार लाएं जो ज्यादा वास्तविक हो |
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जिंदगी में अगर बुरा वक़्त नहीं आता तो अपनों में छुपे हुए गैर और गैरों में छुपे हुए अपनों का कभी पता नहीं चलता।

जिंदगी में अगर बुरा वक़्त नहीं आता तो अपनों में छुपे हुए गैर और गैरों में छुपे हुए अपनों का कभी पता नहीं चलता।